Monetary Policy – मौद्रिक नीति क्या है in hindi तथा प्रयोग में लाये जाने वाले उपकरण

618

Table of Contents

Monetary Policy (मौद्रिक नीति) क्या है ?

बाजार में फैले हुए पैसों के प्रवाह (flow of money) को नियंत्रित करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के द्वारा rules (नियम) बनाये जाते हैं, जिनकी मदद से बाजार में फैले पैसों के आदान-प्रदान का नियंत्रण किया जा सके | RBI के द्वारा बनाये गए वे सभी नियम monetary policy (मौद्रिक नीति) कहलाते हैं |

यदि रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया को लगता है कि बाजार में पैसों का प्रवाह ज्यादा हो गया है, तो धीरे-धीरे RBI उस पैसे को कम करेगा और यदि रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया को लगता है कि बाजार में पैसा कम है तो धीरे-धीरे बाजार में पैसे को बढ़ाएगा |

Monetary policy का प्रयोग महंगाई को नियंत्रित करने के लिए भी किया जाता है | यदि बाजार में पैसा ज्यादा होगा, इसका मतलब यह है कि लोगों के पास अधिक पैसा है, और यदि लोगों के पास पैसा है तो उनकी आवश्यताएँ बढेंगी, आवश्यकता पूर्ति करने पर उत्पादन में कमी आएगी तथा उत्पादन में कमी के कारण महंगाई बढ़ेगी | इसी महंगाई को नियंत्रित करने के लिए RBI मौद्रिक नीति का प्रयोग करती है |




Monetary Policy को नियंत्रित करने के लिए RBI द्वारा कौन – कौन से उपकरण प्रयोग में लाये जाते हैं ?

मौद्रिक नीति को नियंत्रित करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष दो प्रकार के उपकरण प्रयोग में लाये जाते हैं | CRR तथा SLR प्रत्यक्ष उपकरण हैं तथा LAF, bank rate, MSF,OMO और MSS रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के अप्रत्यक्ष उपकरण हैं | आज के लेख में उपरोक्त सभी उपकरणों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जायेगी |

Direct Tools (प्रत्यक्ष उपकरण)

  1. CRR (Cash Reserve Ratio) / नकद आरक्षित अनुपात
  2. SLR (Statutory Liquiddity Ratio) / सांविधिक तरलता अनुपात

CRR (Cash Reserve Ratio) / नकद आरक्षित अनुपात

  • नकद आरक्षित अनुपात (CRR) वह amount (रकम) होता है, जो कि बैंक को रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) के पास वतौर reserve रखना पड़ता है | वर्तमान में CRR तीन प्रतिशत (3 %) है | यह जो 3 % CRR होता है, वह NDTL (Net Demand and Time Liability) का होता है |
  • CRR का वर्णन RBI Act 1934 के section 42 (1) में किया गया है |
  • RBI के पास हर किसी बैंक का एक चालू खाता होता है, जिसमे CRR कैश फॉर्म में maintain किया जाता है |
  • प्रत्येक scheduled commercial bank को यह CRR maintain करके चलना होता है , scheduled commercial bank के अन्तर्गत public sector bank, private sector bank तथा foreign bank आते हैं |
  • बैंक जितना भी पैसा RBI के पास CRR के तौर पर रखता है उसे RBI की तरफ से कोई भी intrest नहीं मिलता है |




SLR (Statutory Liquiddity Ratio) / सांविधिक तरलता अनुपात

  • SLR को बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 के सेक्शन 24 में define किया गया था |
  • बैंक को NDTL (Net Demand and Time Liability) का 18 % SLR वतौर reserve रखना आवश्यक है |
  • यह reserve amount बैंक के बुरे वक्त में काम आ सकेगा | SLR की गणना NDTL के आधार पर की जाती है |
  • SLR भी CRR की तरह ही प्रतिदिन के हिसाब से कैलकुलेट होता है तथा maintain किया जाता है | इसकी कोई न्यूनतम सीमा नहीं है, किन्तु इसकी अधिकतम सीमा 40 % होती है |

Monetary-Policy

Indirect Tools (अप्रत्यक्ष उपकरण)

  1. LAF (Liquidity Adjustment Facility) / चलनिधि समायोजन सुविधा
  2. Bank Rate
  3. MSF (Marginal Standing Facility) / सीमांत स्थायी सुविधा
  4. OMO (Open Market Operation) / खुला बाज़ार परिचालन
  5. MSS




LAF (Liquidity Adjustment Facility) / चलनिधि समायोजन सुविधा

Repo Rate तथा Reverse Repo Rate के माध्यम से flow of money को adjust करने की सुविधा को ही Liquidity Adjusment Facility कहा जाता है | LAF के दो घटक होते हैं, पहला रेपो रेट तथा दूसरा रिवर्स रेपो रेट |

REPO RATE (रेपो दर)

Repo rate को Re-Purchase option rate के नाम से भी जाना जाता है | यदि कोई बैंक रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया से लोन (ऋण) लेता है, तो बैंक को intrest का भुगतान करना होता है | बैंक के द्वारा RBI को दिए जाने वाले intrest की दर को ही Repo Rate कहा जाता है |

आसान भाषा में समझा जाए तो repo rate वह rate of intrest on loan है, जो बैंक के द्वारा RBI को ऋण लेने पर दिया जाता है तथा इसे policy repo rate भी कहा जाता है | वर्तमान समय में रेपो रेट 4.40 % चल रहा है, यह समय-समय पर बदलता रहता है | सभी वाणिज्यिक बैंक short term (90 दिन) के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से पैसे उधार ले सकते हैं |




REVERSE REPO RATE (रिवर्स रेपो दर)

यदि कोई वाणिज्यिक बैंक अपनी excess money / excess liquidity को रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के पास रखता है, तो उसके बदले में भारतीय रिजर्व बैंक को उस वाणिज्यिक बैंक को कुछ व्याज देना पड़ता है | RBI के द्वारा उस वाणिज्यिक बैंक को दिए जाने वाले व्याज की दर को ही Reverse Repo Rate कहा जाता है | वर्तमान में Reverse Repo Rate 3.75 % चल रहा है |

Bank Rate

Bank Rate को discount rate के नाम से भी जाना जाता है | यह व्याज की वह दर है जो वाणिज्यिक बैंकों द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक से लम्बी अवधि (91 से 364 दिनों तक) के लिए लिया जाता है | Loan की अवधि लम्बी होने के कारण यहाँ पर बैंकों से किसी भी प्रकार की security रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के द्वारा नहीं ली जाती है, तथा यहाँ पर किसी प्रकार की अधिकतम सीमा भी नहीं होती है |

MSF (Marginal Standing Facility) / सीमांत स्थायी सुविधा

सीमांत स्थायी सुविधा वह दर है जिस पर वाणिज्यिक बैंक 1 दिन / 24 घंटे / ओवरनाईट के लिए रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया से पैसे उधार लेते हैं | इसकी यह शर्त होती है कि वाणिज्यिक बैंकों द्वारा लिया जाने वाला पैसा कम से कम 1 करोड़ या 1 करोड़ के गुणक में होना चाहिए | अधिकतम पैसा NDTL (Net Demand and Time Liability) का 2 % लिया जा सकता है, किन्तु वर्तमान में इसे बढाकर 3 % कर दिया गया है | Bank Rate तथा MSF हमेशा बराबर होते हैं, जो कि वर्तमान में 4.65 % है |

OMO (Open Market Operation) / खुला बाज़ार परिचालन

रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) के द्वारा इस उपकरण (open market operation) का प्रयोग बाजार में money flow को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है | RBI को जब money flow को कम करना होता है, तो वह govt securities को बेच देता है, तथा यदि RBI को money flow को बढ़ाना होता है, तो रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया govt securities को खरीद लेता है |इस प्रकार से रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया open market operation की मदद से flow of money को नियंत्रित कर पाता है |

इस उपकरण (open market operation) के चलते रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा operation twist को भी introduce किया गया था | इस operation में govt securities को एक साथ खरीदा या बेचा जा सकता था |




MSS (Market Stabllization Scheme) / बाजार स्थितिकरण योजना

बाजार स्थितिकरण योजना को 2004 में प्रारम्भ किया गया था, यह monetary policy का वह उपकरण है जिसकी मदद से रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया Access Liquidity को नियंत्रित करता है | जब सरकार से पास बाजार में फैला पैसा बहुत ज्यादा मात्रा में अचानक से आता है , तो उसे नियंत्रित करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया govt securities को बैंकों को बेच देता है | Market Stabllization के अन्तर्गत 6 लाख करोड़ की limit (सीमा) है |

Monetary Policy Committee (MPC) क्या है ?

कुछ समय पहले तक रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर के पास policy repo rate, bank rate, CRR, SLR, MSF इत्यादि में बदलाव करने का अधिकार होता था | आसान शब्दों में कहा जाए तो पहले monetary policy में जो भी बदलाव किये जाते थे, वे सभी RBI के गवर्नर के द्वारा किये जाते थे, किन्तु अब ऐसा नहीं है |

Monetary Policy को नियंत्रित करने के लिए अब 6 सदस्यों की एक समिति बनायीं गयी है, तथा इस समिति को Monetary Policy Committee का नाम दिया गया है | यदि monetary policy में किसी भी प्रकार का बदलाव करना होता है उसके लिए समिति के सभी सदस्यों का राजिनामा आवश्यक है |

Monetary Policy Committee Member के सदस्य कौन-कौन हैं ?

रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर (राज्यपाल) monetary policy committee के chairperson तथा 6 सदस्यों में से एक सदस्य होते हैं, जो कि वर्तमान में शक्तिकांत दास जी हैं |

Monetary Policy Committee के दूसरे सदस्य रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के उप राज्यपाल हैं, तथा इन्हें समिति का incharge (प्रभारी) भी बनाया गया है | रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के उप राज्यपाल श्री माइकल डी पात्रा जी हैं |
समिति के तीसरे सदस्य श्री जनक राज जी है, जो कि रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया में executive director (कार्यकारी निदेशक) के पद पर हैं |




Monetary Policy Committee के अन्य तीन सदस्य govt of india से होते हैं, जो की वर्तमान में श्री पामी दुआ, चेतन घाटी तथा रविन्द्र एच ढोलकिया जी हैं | जो सदस्य भारत सरकार से होते हैं, उनका कार्यकाल इस समिति में 4 वर्षों के लिए होता है |

[su_button url=”https://explanationinhindi.com/banking/%e0%a4%ac%e0%a5%88%e0%a4%82%e0%a4%95-%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%b9%e0%a5%88/” target=”blank” size=”5″]बैंक क्या है इसके प्रकार एवं कार्यों का वर्णन [Definition of bank in hindi][/su_button]




उम्मीद करते हैं कि मौद्रिक नीति तथा उसके उपकरण से सम्बंधित यह लेख आपको पसंद आया होगा, यदि आपको लगता है कि यह बेसिक जानकारी भारत के सभी नागरिकों तक पहुँच पाए तो इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें | लेख को शेयर करने के लिए आप सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, ट्विटर तथा इन्स्टाग्राम का प्रयोग भी कर सकते हैं |

टेक्नोलॉजी, कंप्यूटर, बायोग्राफी, अमेजिंग फैक्ट्स, बैंकिंग तथा how to queries इत्यादि से सम्बंधित जानकारी के लिए explanation in हिन्दी visit करें |

Previous articleइन्टरनेट बैंकिंग क्या है और इन्टरनेट बैंकिंग के क्या फायदे हैं ?
Next articlegb Whatsapp Latest Version 2022- भूलकर भी ना करें इसे डाउनलोड करने की गलती

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here