Jawaharlal Nehru कैसे बने First Prime Minister of India?

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यह तो आप सभी जानते ही होंगे कि हमारे देश भारत अंग्रेजों से 1947 में आजाद हुआ था तब आजादी के बाद भारत देश के पहले प्रधानमंत्री Pandit Jawaharlal Nehru बने थे और उन्होंने ही स्वतंत्र भारत की बाग़दौड़ संभाली थी | लेकिन यह बात भी बिल्कुल सच है कि पंडित जवाहर लाल नेहरु के अलावा भी कई लोग प्रधानमंत्री बनने की फिराक में थे लेकिन ऐसा क्या हुआ कि पंडित जवाहर लाल नेहरु ही देश के प्रधानमंत्री बने |

आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे First Prime Minister of India पंडित जवाहर लाल नेहरु जी का सफ़र, यदि आप भारत के इतिहास और उनसे जुडी विभूतियों से सम्बंधित जानकारी रखना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें |

Pandit Jawaharlal Nehru की भारत की स्वतंत्रता में भूमिका

भारत की स्वतंत्रता में पंडित जवाहर लाल नेहरु की अहम् भूमिका रही और उन्होंने एक अच्छा लीडर बनकर सभी का नेतृत्व किया | जवाहर लाल नेहरु 1912 में अपनी education पूरी कर भारत लौटे और लौटने के कुछ महीनों बाद ही 1912 में ही उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस के session में हिस्सा लिया, यह session पटना के बांकीपुर में organize हुआ था |

नेहरु जी का मुख्य participation आरम्भ होता है Home Rule Movement के समय जब वो एनी बेसेंट के Home Rule League से जुड़ते हैं | 1915 में नेहरु जी उत्तर प्रदेश किसान सभा में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं और 1916 में नेहरु जी की मुलाक़ात Lucknow Session of the congress के दौरान महात्मा गाँधी जी से पहली बार होती है और वे गाँधी जी से बहुत प्रेरित होते हैं |

गाँधी जी द्वारा शुरू किये गए Non cooperation movement में नेहरु जी पहली बार नेशनल लेवल के struggle में हिस्सा लेते हैं और 1920 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में पहला किसान मार्च organize करते हैं | नेहरु जी ने संयुक्त प्रान्त में Non cooperation movement को lead किया जिस दौरान इन्हें अंग्रेजों द्वारा 2 बार arrest भी किया गया |

1923 में पंडित जवाहर लाल नेहरु All India Congress Committee के जनरल सेक्रेट्री बन जाते हैं | इसके बाद इनकी मुख्य भूमिका तब देखि जाती है जब कांग्रेस के 1928 के session में Nehru report पर discussion होता है और इस discussion में नेहरु जी और सुभाष चन्द्र बोस Complete Independence की मांग करते हैं |

गाँधी जी और कांग्रेस के सीनियर लीडर्स इस मांग के खिलाफ थे और उन्होंने इस demand को नहीं माना तब अपनी demand को accept कराने के लिए नेहरु जी और सुभाष चन्द्र बोस जी ने मिलकर Independence for India League (1928) नामक एक organization आरम्भ की. नेहरु जी इस आर्गेनाइजेशन के सेक्रेट्री बने | अंत में गाँधी जी को young leaders की demand के आगे झुकना पड़ता है |

1929 ले लाहौर कांग्रेस सेशन में इसका परिणाम देखने को मिलता है जहाँ पर नेहरु जी को Indian National Congress का president चुना जाता है और यहाँ पर नेहरु जी पूर्ण स्वराज कांग्रेस का goal घोषित कर देते हैं |

Congress का नेतृत्व अब Young Leaders के हाथों में

यहाँ से journey आरम्भ होती है जब कांग्रेस का नेतृत्व सभी young leaders करते हैं जहाँ पर young leaders के रूप में पंडित जवाहर लाल नेहरु के साथ सुभाष चन्द्र बोस पार्टी की बाग दौड़ सँभालते हैं |

  • 1929 के लाहौर सेशन के बाद नेहरु जी Indian Independence Movement के Paramount Leader के रूप में उभरते हैं
  • 1930 में नेहरु जी Civil Disobedience Movement के दौरान अलाहाबाद में salt Satyagraha करते हैं और 1930 से 1935 के बीच में अपने राजनैतिक सफ़र में कई बार इन्हें जेल भी जाना पड़ता है
  • 1937 में एक बार फिर नेहरु जी कांग्रेस के president चुने जाते हैं, यह session महाराष्ट्र के फैजपुर गाँव में हुआ था और कांग्रेस द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में होने वाला पहला session था |
  • फैजपुर सेशन में ही पहली बार कांग्रेस द्वारा Constituent Assembly बनाने की demand भी रखी जाती है
  • 1937 में ही प्रान्तीय चुनाव भी होते हैं जहाँ नेहरु जी के नेतृत्व में कांग्रेस चुनाव लडती है और 11 में से 8 प्रान्तों में अपनी सरकार बनाती है
  • 1939 में दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो जाता है और अंग्रेजी सरकार द्वारा भारत के forceful participation के against कांग्रेस मिनिस्ट्री इस्तीफ़ा दे देती है
  • नेहरु जी का मानना था कि भारत विश्व युद्ध में तब तक support नहीं करेगा जब तक भारत को पूर्ण रूप से आजादी ना मिल जाए और साथ ही कोई mass movement भी शुरू नहीं करेगा ताकि ब्रिटेन के war efforts को नुकसान ना हो | गाँधी जी और कांग्रेस के अन्य लीडर भी नेहरु जी के इस निर्णय को support कर रहे थे
  • 1940 में गाँधी जी ने Individual Satyagraha आरम्भ किया जिसमें नेहरु जी आचार्य विनोवा भावे जी के बाद दूसरे सत्याग्रही थे, इस सत्याग्रह का मुख्य उद्देश दूसरे विश्व युद्ध में भारत के forceful participation का विरोध करना था
  • इस दौरान 1940 में ही नेहरु जी को फिर से एक बार arrest कर लिया जाता है
  • 1941 में नेहरु जी जेल से बाहर आते हैं और उसी समय गाँधी जी पंडित जवाहर लाल नेहरु जी को अपना successor घोषित करते हैं
  • Individual Satyagraha के बाद भी अंग्रेज सरकार कांग्रेस की कोई demand नहीं मानती है और महात्मा गाँधी जी का यह सत्याग्रह असफल हो जाता है
  • उसके बाद गांधीजी एक बार फिर से mass movement आरम्भ करने की प्लानिंग करते हैं
  • 7 अगस्त 1942 को नेहरु जी Bombay Session के दौरान Quit India Resolution आरम्भ करते हैं और 8 अगस्त 1942 को बाकी कांग्रेस leaders के साथ नेहरु जी को arrest कर लेते हैं | यह नेहरु जी की सबसे लम्बी सजा थी और सजा पूरी होने के बाद नेहरु जी को जनवरी 1945 को जेल से आजाद किया जाता है |
  • जेल से आने के बाद नेहरु जी सुभाष चन्द्र बोस की Indian National Army के सिपाहियों के लिए Legal Defense organize करते हैं क्योंकि अंग्रेज इन सभी सिपहिओं के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चला रहे थे

Jawaharlal Nehru के PM बनने की कहानी (The First Prime Minister of India was)

इस समय तक अंग्रेजों ने भारत छोड़ने का निर्णय बना लिया था और जल्द ही अंग्रेज भारत छोड़कर जाने वाले थे, अब मुश्किल की घडी यह थी कि भारत के प्रधानमंत्री का selection कैसे होगा और कौन बनेगा First Prime Minister of India ?

जब सरकार बनाने की बात आती है तो यह decided था कि जो भी उस समय कांग्रेस का president होगा उसी को अंग्रेज government का head बनायेंगे यानि देश का प्रथम प्रधानमंत्री (First Prime Minister of India) भी वही होगा | उस समय कांग्रेस के प्रेसिडेंट मौलाना अबुल कलाम आजाद थे लेकिन उनको 1940 के रामगढ सेशन के दौरान चुना गया था उसके बाद बहुत सारे factors की वजह से जैसे कि द्वितीय विश्व युद्ध, Quit India Movement और कांग्रेस लीडर्स के जेल में होने की वजह से अगला president का चुनाव नहीं हो पाटा है और अबुल कलाम आजाद जी ही 1946 तक प्रेसिडेंट रहते हैं |

1946 में जब कांग्रेस के प्रेसिडेंट के लिए Re-election घोषित किये जाते है तो मौलाना जी भी पुनः re-election की इच्छा जताते हैं लेकिन गाँधी जी कांग्रेस के re-election से साफ़ मना कर देते हैं | 20 अप्रैल 1946 को गाँधी जी अपनी प्रेसिडेंट चॉइस नेहरु जी के favor में घोषित कर देते हैं |

29 अप्रैल 1946 प्रेसिडेंट के नॉमिनेशन की अंतिम date रखी जाती है | कांग्रेस की नियमावली के अनुसार अंत तक केवल दो उम्मीदवार थे जो कांग्रेस के प्रेसिडेंट और First Prime Minister of India बन सकते थे जिसमें से पहले उम्मीदवार सरदार पटेल और दूसरे उम्मीदवार नेहरु जी थे |

सरदार पटेल के First Prime Minister of India बनने के chances ज्यादा होने के बाद भी नेहरु जी कैसे बने प्रथम प्रधानमंत्री ?

सरदार पटेल जी के पास कांग्रेस के ज्यादा vote पक्ष में थे किन्तु नेहरु जी ही प्रेसिडेंट बनते हैं कैसे ? यहाँ पर मुख्य भूमिका निभाई गाँधी जी ने क्योंकि गाँधी जी को पता चलता है कि नेहरु जी government में second position लेने को बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं इसलिए गाँधी जी सरदार पटेल से अपना नाम बापस लेने को कहते हैं और गाँधी जी के कहने पर पटेल जी अपना नॉमिनेशन बापस ले लेते हैं |

गाँधी जी को क्यों लेना पड़ा था नेहरु जी के पक्ष में यह निर्णय ?

गाँधी जी के इस निर्णय के पीछे का कारण यह बताया जाता है कि गाँधी जी का मानना था कि देश के हित के लिए दोनों young leaders का साथ government में होना वेहद ही जरूरी है और जैसा कि नेहरु जी को second command नहीं बनना था तो naturally पटेल जी को sacrifice करना ही था | वहीँ गाँधी जी जानते थे कि सरदार पटेल उनकी बात जरूर मानेंगे तो उसी को ध्यान में रखते हुए गाँधी जी को यह निर्णय लेना पड़ा था |

सरदार पटेल के लिए position से ज्यादा पार्टी और देश important था लेकिन नेहरु जी के लिए गाँधी जी को विश्वास नहीं था और उन्हें हमेशा से लगता था कि नेहरु जी sacrifice के लिए तैयार नहीं होंगे |

नेहरु जी एक young और modern लीडर थे और उस वक़्त एक ऐसे ही लीडर की देश को जरूरत थी, अब यहाँ पर मौका मिलता है नेहरु जो को देश का प्रथम प्रधानमंत्री बनने का और नेहरु जी बन जाते हैं स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री |

Who was the first Female Prime Minister of India/ देश की पहली महिला प्रधानमंत्री कौन थीं ?

यदि आप यह खोज रहे हैं कि who is the first and only female prime minister of India तो आप बिल्कुल सही जगह आये हैं यहाँ पर आपको प्रथम महिला प्रधानमंत्री के नाम के साथ अन्य कई जानकारियां जानने को मिलने वाली हैं | भारत में पहली महिला प्रधानमंत्री बनने वाली Indira Gandhi जी थीं और ये पहली महिला प्रधानमंत्री होने के साथ साथ देश की तीसरी प्रधानमंत्री थीं जिन्होंने देश की बाग़दौड़ को संभाला था | इंदिरा गाँधी हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु जी की पुत्री थीं |

first Female Prime Minister of India

Who was the first sikh Prime Minister of India ?

मनमोहन सिंह भारत के first Sikh prime minister बने थे और इनकी गिनती ऐसे राज नेताओं में की जाती है जिन्होंने अपनी साफ़ छवि के कारण अपने विरोधियों में भी अपना नाम कमाया है | भारत देश के तेरहवें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी का जन्म 26 सितम्बर 1932 को गुलाम भारत के पंजाब के चकवाल जनपद में हुआ था जो कि वर्तमान में पकिस्तान में है |

first sikh Prime Minister of India

बचपन से ही मनमोहन सिंह तेज दिमाग के थे और पढाई में रूचि रखते थे, तेज दिमाग होने के कारण ये अपनी कक्षा के टॉपर रहते थे | भारत पकिस्तान बंटवारे के समय इनका परिवार अमृतसर आकर रहने लगा और इन्होने यहाँ के हिन्दू कॉलेज में दाखिला ले लिया और उसके बाद की पढाई होशियार पुर के पंजाब यूनिवर्सिटी से पूर्ण की |

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उम्मीद करते हैं कि उपरोक्त जानकारी आपको पसंद आई होगी जिसमें बताया गया है पंडित जवाहर लाल नेहरु जी के प्रधानमंत्री बनने का सफ़र और साथ ही साथ अन्य कई महत्वपूर्ण जानकारियां | यदि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें | आर्टिकल शेयर करने के लिए आप किसी भी social media platform का प्रयोग कर सकते हैं |

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