देवभूमि उत्तराखंड कई देवी देवताओं का गढ़ है और यहाँ लाखों देवी देवता निवास करते हैं, आज के आर्टिकल में हम Kasar Devi Temple से सम्बंधित जानकारी देने जा रहे हैं | आपको बता दें कि kasar devi temple को रहस्यमयी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है और आज हम इस मंदिर में होने वाले रहस्यों की चर्चा भी इस आर्टिकल में करने जा रहे हैं, यदि आप भी यहाँ होने वाले रहस्यों के बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें |
कसार देवी मन्दिर का रहस्य
उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले में देवी को समर्पित कसार देवी मन्दिर यहाँ पर होने वाले चमत्कारों की बजह से आज तक एक रहस्य बना हुआ है | कसार देवी मन्दिर के चमत्कारों को देखकर वैज्ञानिक भी हैरान हैं तथा मन्दिर में चुम्बकीय रूप से चार्ज होने के कारणों और प्रभावों पर शोध कर रहे हैं | कहा जाता है कि नासा के वैज्ञानिक भी इस मन्दिर में होने वाले चमत्कारों के आगे देवी के सामने नतमस्तक हो चुके हैं |
डॉक्टर अजय भट्ट ने बताया है कि इस स्थान के आस पास वाला पूरा क्षेत्र वैन एलेन बैल्ट है जहाँ धरती के भीतर विशाल भू- चुम्बकीय पिण्ड हैं और इन चुम्बकीय पिण्डों से रेडिएशन निकलती है | परन्तु फिर भी आज तक इस भू- चुम्बकीय पिण्ड का पता नहीं लग सका है |
विशेषज्ञों द्वारा किये गए शोधों के अनुसार अल्मोड़ा स्थित कसार देवी मन्दिर, साउथ अमेरिका के पेरू स्थित माचू- पिच्चू और इंग्लॅण्ड के स्टोन हैंग में अद्भुत चमत्कारिक समानताएं पायी गयी हैं |
कसार देवी मन्दिर को चुम्बकीय शक्तिओं का केंद्र माना जाता है जहाँ मानसिक शान्ति का अनुभव किया जा सकता है |
Kasar Devi (कसार देवी) मन्दिर का इतिहास
कसार देवी मन्दिर उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले में अल्मोड़ा शहर से लगभग 8 किलोमीटर दूर काषप पर्वत पर कसार देवी नामक एक गाँव में स्थित है और इस गाँव का नाम कसार देवी के नाम पर ही रखा गया था |
इस स्थान पर लगभग ढाई हजार साल पहले शुम्भ – निशुम्भ नाम के दो राक्षसों का बध करने के लिए माँ दुर्गा ने “देवी कत्यायनी” का रूप धारण किया था | देवी कत्यायनी के द्वारा शुम्भ – निशुम्भ का बध करने के बाद से यह स्थान विशेष माना जाने लगा था |
स्थानीय लोगों के अनुसार दूसरी सताब्दी में बना यह मन्दिर 1970 से 1980 की शुरुआत तक डच सन्यासियों का घर हुआ करता था |
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स्वामी विवेकानंद द्वारा 1890 में किये गए थे कसार देवी के दर्शन
कहा जाता है कि जब स्वामी विवेकानंद को इस दिव्य स्थान का पता चला तो 1890 में मन की शान्ति के लिए वे इस स्थान पर आये और कुछ माह तक इसी स्थान पर रहकर ध्यान में लीन रहे | यह भी कहा जाता है कि अल्मोड़ा से लगभग 22 किलोमीटर दूर काकडीघाट में स्वामी विवेकानंद जी को ज्ञान की अनुभूति हुई थी | वर्तमान समय में भी देश-विदेश से अनेक श्रद्धालु यहाँ आते हैं और माँ के दर्शन करके अद्भुत शक्ति का अनुभव करते हैं |
वैसे तो वर्ष भर श्रद्धालु देवी के इस दिव्य मन्दिर में दर्शन के लिए आते हैं किन्तु नवरात्रों के समय लाखों की संख्या में श्रद्धालु कसार देवी मन्दिर में देवी के दर्शन के लिए पहुँचते हैं | प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा (नवम्बर- दिसंबर) को कसार देवी मन्दिर में कसार देवी का भव्य मेला लगता है, जिस मेले में दूर दराज के गाँव से लोग पहुँचते हैं |
पर्यटन की दृष्टि से भी है ख़ास कसार देवी मन्दिर
हिन्दू धर्म में आस्था के साथ साथ Kasar devi Mandir पर्यटन की दृष्टि से भी ख़ास है क्योंकि यह मन्दिर अल्मोड़ा की प्राकृतिक वादियों के बीच स्थित है | यह इतना सुन्दर है कि देखने मात्र से ही आँखों को सुकून मिल जाता है | दुनिया भर के पर्यटक मन की शान्ति पाने के उद्देश्य से अल्मोड़ा के कसार देवी मन्दिर में पहुँचते हैं |
पर्वतारोहियों को भी यह स्थान बहुत भाता है, क्योंकि अल्मोड़ा की पहाड़ियां पर्वतारोहियों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होती है तथा पर्वतारोही चुनौती को स्वीकार करके शिखर पर पहुँच कर आनंदित होते हैं |
How to Raech Kasar Devi Temple ?
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उम्मीद करते हैं कि उत्तराखंड के अल्मोड़ा में स्थित रहस्यमयी मंदिर Kasar Devi Temple से सम्बंधित उपरोक्त जानकारी आपको पसंद आई होगी, यदि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि ज्यादा लोग इस रहस्यमयी मंदिर के बारे में जान सके | आर्टिकल को शेयर करने के लिए आप किसी भी social media platform का प्रयोग कर सकते हैं |
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