6 National Park in Uttarakhand You must Visit

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उत्तराखंड देवभूमि है इस बात को बिल्कुल नहीं नकारा जा सकता है और साथ ही साथ उत्तराखंड के रास्ट्रीय उद्यान (6 National Park in Uttarakhand You must Visit) यहाँ की सुन्दरता पर चार चाँद लगा देते हैं, ये सभी पार्क इतने ज्यादा खूबसूरत है कि विश्व भर से शैलानी यहाँ की सुन्दरता को देखने आते हैं |

इस आर्टिकल में में हम उत्तराखंड में स्थित 6 राष्ट्रीय उद्यानों के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं यदि आप भी इन सभी उद्यानों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें |

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उत्तराखंड के राष्ट्रीय उद्यान ( National Parks of Uttarakhand)

उत्तराखंड को प्रकृति के रूप में वेहद ही शानदार उपहार मिला है जिनके जीते जागते उदाहरण हैं उत्तराखंड के ये 6 राष्ट्रीय उद्यान जिनके बारे में नीचे बताया जा रहा है | ये सभी नेशनल पार्क उत्तराखंड को प्रकृति की देन है जहाँ पर आकर देश विदेश के शैलानी प्रफुल्लित होते हैं |

6 National Park in Uttarakhand [उत्तराखंड के रास्ट्रीय उद्यान]

  1. गंगोत्री रास्ट्रीय उद्यान
  2. राजाजी रास्ट्रीय उद्यान
  3. नन्दा देवी रास्ट्रीय उद्यान
  4. कॉर्बेट रास्ट्रीय उद्यान
  5. गोविन्द रास्ट्रीय उद्यान
  6. फूलों की घाटी रास्ट्रीय उद्यान

National Parks of Uttarakhand

Gangotri National Park [गंगोत्री रास्ट्रीय उद्यान]

6 National Park in Uttarakhand में से प्रथम श्रेणी में जिस राष्ट्रिय उद्यान के बारे में बताया जा रहा है वह गंगोत्री राष्ट्रिय उद्यान है | उत्तराखंड राज्य में स्थित गंगोत्री नेशनल पार्क जनपद उत्तरकाशी में सन 1989 में स्थापित किया गया था | 2390 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला गंगोत्री रास्ट्रीय उद्यान वन्य जीव जैसे- हिम तेंदुआ, हिमालयन भालू, कस्तूरी मृग तथा मोनाल इत्यादि के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है | क्षेत्रफल के अनुसार यह नेशनल पार्क उत्तराखंड का सबसे बड़ा नेशनल पार्क है |

इस रास्ट्रीय उद्यान का नाम यहाँ स्थित गंगोत्री हिमनद के नाम पर रखा गया है | गंगा नदी का उदगम स्थल गौमुख इसी रास्ट्रीय उद्यान के अन्दर स्थित है जो कि हिन्दुओं के पवित्र स्थलों में से एक है | गंगोत्री रास्ट्रीय उद्यान की समुद्रतल से औसतन ऊँचाई 7083 मीटर है |

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Raja ji National Park [राजाजी रास्ट्रीय उद्यान]

6 National Park in Uttarakhand में से द्वितीय श्रेणी में जिस राष्ट्रिय उद्यान के बारे में बताया जा रहा है वह राजाजी राष्ट्रिय उद्यान है | जानवरों, पक्षियों और प्राकृतिक सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध राजाजी रास्ट्रीय उद्यान की स्थापना सन 1983 में की गयी थी | यह रास्ट्रीय उद्यान पहले “मोतीचूर वन्य जीव अभ्यारण” के नाम से जाना जाता था | 820.42 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस रास्ट्रीय उद्यान का नाम स्वतंत्रता सेनानी चक्रवर्ती रामगोपालाचारी के नाम पर रखा गया था और इसकी घोषणा राजीव गाँधी जी ने की थी | यह रास्ट्रीय उद्यान भारत का 48 वा टाइगर रिजर्व है |

उत्तराखंड राज्य के 3 जिलों देहरादून ,हरिद्वार तथा पौड़ी में विस्तृत इस रास्ट्रीय उद्यान में 23 प्रकार के स्तनधारी तथा 313 पक्षियों की प्रजातियाँ पायी जाती हैं | एशियाई हाथी, चीतल, काकर, पैंथर, भालू, टाइगर, साम्भर तथा किंग कोबरा यहाँ के प्रमुख जीव हैं |

पर्यटकों के लिए यह पार्क 15 नबम्बर से 15 जून के बीच खोला जाता है और इस बीच सफारी का आनन्द लेने के लिए देश – विदेश से पर्यटक यहाँ भारी मात्रा में  पहुचते हैं |

Nanda Devi National Park [नन्दा देवी रास्ट्रीय उद्यान]

6 National Park in Uttarakhand में से तृतीय श्रेणी में जिस राष्ट्रिय उद्यान के बारे में बताया जा रहा है वह नंदा देवी राष्ट्रिय उद्यान है | 624 वर्ग किलोमीटर में फैले नन्दा देवी नेशनल पार्क की स्थापना सन 1988 में की गयी थी तथा इसी वर्ष इसे UNESCO द्वारा विश्व धरोहर में शामिल कर लिया गया था | विश्व प्रसिद्ध नन्दा देवी नेशनल पार्क उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित है | समुद्र तल से इस रास्ट्रीय उद्यान की ऊँचाई लगभग 7816 मीटर है | सर्वप्रथम इसकी स्थापना संजय गाँधी रास्ट्रीय उद्यान के तौर पर की गयी थी परन्तु बाद में इसका नाम बदलकर नन्दा देवी रास्ट्रीय उद्यान कर दिया गया था |

हिमालयन भालू , मस्क डियर, कस्तूरी मृग, मोनाल, भरल आदि पशु पक्षी नन्दा देवी रास्ट्रीय उद्यान के प्रमुख जीव जंतु हैं| यहाँ पर फूलों की लगभग 312 प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं | देवदार, संटी, बुरांश तथा जुनिपर इस रास्ट्रीय उद्यान पर पायी जाने वाली विशेष बनस्पतियां हैं |

Corbet National Park [कॉर्बेट नेशनल पार्क]

6 National Park in Uttarakhand में से चतुर्थ श्रेणी में जिस राष्ट्रिय उद्यान के बारे में बताया जा रहा है वह कॉर्बेट नेशनल पार्क है | CORBET NATIONAL PARK (कॉर्बेट नेशनल पार्क) की स्थापना 1936 में तत्कालीन गवर्नर सर हैली के नाम पर की गयी थी इसलिए इसका नाम “हैली नेशनल पार्क” भी है | यह भारत का ही नहीं अपितु सम्पूर्ण एशिया का प्रथम नेशनल पार्क है | स्वतंत्रता के बाद इसका नाम “रामगंगा नेशनल पार्क” भी रखा गया था लेकिन 1857 में महान प्रकृति प्रेमी जिम कॉर्बेट की स्मृति में इसका नाम JIM CORBET NATIONAL PARK कर दिया गया |

यह नेशनल पार्क नैनीताल जिले के रामनगर में स्थित है जो कि नैनीताल मुख्यालय से लगभग 144 किलोमीटर दूर है | नैनीताल जिले के रामनगर में ही ढिकाला में ही इसका प्रवेश द्वार बनाया गया है| जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क 520.82 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है |यह पौड़ी जिले में 312.76 वर्ग किलोमीटर तथा नैनीताल जिले में 208.8 वर्ग किलोमीटर विस्तृत है |

इस पार्क में पक्षियों की लगभग 570 प्रजातियाँ,25 लगभग सरीसृप प्रजातियाँ व लगभग 75 प्रकार के स्तनधारी जीव पाए जाते हैं | मगरमच्छ,चीतल,शाम्भर,बाघ,हाथी,तेंदुआ ,अजगर तथा हिरन यहाँ के मुख्य जीव हैं |

1 नवम्बर 1973 को इसे भारत का पहला बाघ संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया था | इस घोषणा के बाद यहाँ शेरों की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हुई |

Govind National Park [गोविन्द रास्ट्रीय उद्यान]

6 National Park in Uttarakhand में से पंचम श्रेणी में जिस राष्ट्रिय उद्यान के बारे में बताया जा रहा है वह गोविन्द राष्ट्रिय उद्यान है | उत्तरकाशी जिले में स्थित गोविन्द राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1980 में की गयी थी | यह रास्ट्रीय उद्यान 472 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है | इस रास्ट्रीय उद्यान का नाम प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता गोविन्द बल्लभ पन्त के नाम पर रखा गया है |

भूरा भालू,कस्तूरी मृग, काला भालू,हिम तेंदुआ तथा मोनाल इत्यादि पशु पक्षियों के लिए गोविन्द नेशनल पार्क पूरे विश्व में प्रसिद्ध है |

पार्क के अन्दर ही “हर की दून” घाटी है जो कि ट्रेकिंग के लिए एक प्रसिद्ध स्थान है |

Valley Of Flowers National Park [फूलों की घाटी रास्ट्रीय उद्यान]

फूलों की घाटी उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक रास्ट्रीय उधान है, इस  घाटी की खोज 1931 में फ्रैंक स्मिथ के द्वारा की गयी थी, जो की एक पर्वतारोही थे | स्मिथ को यह घाटी इतनी ज्यादा पसंद आई की उन्होंने इस पर एक पुस्तक “Valley Of Flowers” लिख डाली | फूलों की घाटी हरियाली और चारों तरफ से हिमालय की चोटियों से घिरी हुई एक अत्यंत खुबसूरत जगह है | फूलों की घाटी के पास पुष्पावती नदी बहती है जो पुष्पतोया ताल से निकलती है और आगे जाकर लक्ष्मण गंगा से मिल जाती है |

1982 में फूलों की घाटी को विश्व संगठन, यूनेस्को द्वारा रास्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था तथा “नंदा देवी रास्ट्रीय उद्यान” और “फूलों की घाटी रास्ट्रीय उद्यान” को सम्मिलित रूप से विश्व धरोहर में शामिल किया गया था | यह घाटी 87.50 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है | पर्यटक यहाँ 3 किलोमीटर लम्बी तथा 500 मीटर चौड़ी फूलों की घाटी में रंग बिरंगे फूलों को देखकर आकर्षित होते हैं | फूलों की घाटी महाभारत काल में नंदन वन के नाम से जानी जाती थी| कहा जाता है की हनुमान जी भगवान् राम के छोटे भाई लक्ष्मण जी के लिए संजीवनी बूटी यही से लाये थे |

इस रास्ट्रीय उद्यान में गुलाब, कुमुदनी, चम्पा, जुही, बेला ,गुल्दाबली तथा सिल्पाड़ा आदि फूल मन को आकर्षित करते हैं | यहाँ फूलों की लगभग 500 से ज्यादा प्रजातियाँ पायी जाती हैं | यहाँ बुरांश का फूल गुलाब के लाल रंग को भी फीका कर देता है , बुरांश उत्तराखंड का राज्य वृक्ष भी है | भ्रमकमल जो की बिना पानी में होता है वह भी यहाँ बहुतायत मात्रा में पाया जाता है |

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उम्मीद करते हैं कि उपरोक्त आर्टिकल 6 National Park in Uttarakhand आपको पसंद आया होगा और यदि आप उत्तराखंड दर्शन के लिए आते हैं तो उत्तराखंड के इन स्थानों पर घूमने का प्रयास अवश्य करें | यदि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें | आर्टिकल शेयर करने के लिए आप किसी भी social media platform का प्रयोग कर सकते हैं |

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