Nainital Travel Guide 2022 (हिंदी) – Best Destination for Tourists

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Nainital – The Lake City of India

उत्तराखंड के लोकप्रिय हिल स्टेशन (Best Hill Station in Uttarakhand) में से एक जो कि प्राकृतिक वादिओं से घिरा हुआ है बहुत खूबसूरत हिल स्टेशन है जिसे The Lake City of India के नाम से भी जाना जाता है | जी हाँ हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल नैनीताल (Nainital) की जो देश भर में अपनी सुन्दरता और यहाँ के सुहावने मौसम के लिए जाना जाता है |

इस आर्टिकल में हम Naini Tal (नैनीताल) आने वाले सभी पर्यटकों के लिए  Nainital Travel Guide 2022 (हिंदी) लेकर आये हैं जिसमें हम प्रयास करेंगे कि हर वो जानकारी दी जाए जो यहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए useful हो और इस travel guide को पढ़कर पर्यटक हर वो जानकारी प्राप्त कर सकें जो वे यहाँ आने से पहले खोजते हैं |

पहले हम बात कर लेते हैं नैनीताल की सुन्दरता की, तो नैनीताल 3 ओर से 7 पहाड़ियों से घिरा हुआ है और समुद्रतल से इसकी ऊँचाई लगभग 1338 मीटर (Nainital Height) है | इस नगर के बीचोंबीच एक प्राकृतिक और वेहद ही खूबसूरत झील है जिसे नैनीझील (Nainital Lake) के नाम से जाना जाता है | यह झील 1500 मीटर लम्बी, 510 मीटर चौड़ी और लगभग 30 मीटर गहरी है |

Best Hill Station in Uttarakhand

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जानिये, नैनीताल क्यों है भारत का प्रसिद्ध हिल स्टेशन (Why is Nainital Famous Hill Station in India) ?

किसी भी जगह को प्रसिद्ध बनाने के पीछे कई factors हो सकते हैं जैसे कहीं पर कोई जगह इतनी ज्यादा खूबसूरत हो कि प्रत्येक का मन मोह ले तो कुछ जगह वहां के रहन सहन, खान-पान की वजह से प्रसिद्ध होती हैं और कुछ जगह वहां के किसी unique products की बजह से लेकिन यदि हम बात करें नैनीताल की तो यह प्रसिद्ध है अपने सुहावने मौसम, प्राकृतिक सुन्दरता और नैनी झील की बजह से जो प्रत्येक पर्यटक के मन को मोह लेती है |

यहाँ आने वाले पर्यटकों को घूमने के लिए कई जगहें जैसे Nainital Zoo, Eco Cave Garden, China Peak, Snow View इत्यादि हैं जहाँ जाकर पर्यटकों की आँखों को सुकून मिलता है | नैनीताल कई पुराने स्कूलों और research facilities की वजह से भी प्रसिद्ध है और नैनीताल से लगभग 9 किलोमीटर की दूरी पर मनोरमा पहाड़ की चोटी पर Aryabhata Research Institute of Observational Science (ARIES) स्थित है, जिसे देखने के लिए पर्यटक काफी दूर दूर से यहाँ प्रतिवर्ष आते हैं |

Places to Visit in Nainital Uttarakhand (नैनीताल आकर कहाँ घूमें) ?

यदि नैनीताल के पर्यटन स्थलों (Nainital Tourist Places) की बात की जाए तो यहाँ पर कई ऐसे destinations हैं जहाँ जाकर आपको लगेगा कि आपका नैनीताल आना और यहाँ पर भ्रमण करना सफल हो गया | कुछ ऐसे ही destinations से सम्बंधित जानकारी हम देने जा रहे हैं जहाँ पर आपको अवश्य visit करना चाहिए |

  1. नैनीझील (Nainital Lake)
  2. Naina Devi Temple (नैना देवी मंदिर, नैनीताल)
  3. Snow View Point
  4.  Nainital Zoo
  5. Hanuman Garhi Temple
  6. Camel’s Back
  7. Pangot (पंगोट)

नैनीझील

नगर के बीचों-बीच 3 ओर से 7 पहाड़ियों से घिरी यह झील उत्तराखंड को प्रकृति का एक नायाब तोहफा है जिसे देखने के लिए प्रतिवर्ष लाखों शैलानी यहाँ पर पहुँचते हैं | नैनीझील 1500 मीटर लम्बी, 510 मीटर चौड़ी और लगभग 30 मीटर गहरी है | दिखने में इसका आकार नेत्र (आँख) के जैसा है और झील के इस आकार के होने के पीछे एक पौराणिक कथा है जो प्रत्येक पर्यटक को जान लेनी चाहिए |

पुराणों के अनुसार यह कहा जाता है कि माता सती और भगवान् शिव जी का प्रेम विवाह हुआ था जिसकी वजह से माता सती के पिता राजा दक्ष प्रजापति माता सती और भगवान् शिव से रूष्ट हो गए थे | कहा जाता है कि एक बार दक्ष प्रजापति द्वारा एक बड़े यज्ञ का आयोजन करवाया गया था जिसमें सभी देवी देवता आमंत्रित थे किन्तु उन्होंने भगवान् शिव को आमंत्रित नहीं किया था |

माता सती ने इसे अपने पति का अपमान समझा और क्रोधित हो उठीं और उनका क्रोध इतना बढ़ गया कि वे यज्ञ स्थल पर जा पहुंची और यज्ञ पूरा ना हो यह इच्छा रखते हुए उन्होंने यज्ञ में आत्मदाह कर लिया, जिससे यज्ञ अपवित्र हो गया और पूजा अधूरी रह गयी | आत्मदाह की खबर सुन भगवान् शिव क्रोधित हो उठे और वहां पहुँच कर माता सती के जलते हुए शव को उठाकर तांडव करने लगे |

भगवान् शिव का तांडव बहुत विनाशकारी था जिससे पूर्ण पृथ्वी पर विनाश का मंजर था जो कि सबको भयभीत कर रहा था | विनाश होता देख भगवान् विष्णु आगे आये और विनाश को रोकने एवं भगवान शिव को शांत करने के लिए उन्होंने माता सती के टुकड़े कर दिए | माता सती का मृत शरीर 51 अलग-अलग टुकड़ों में विभाजित हो गया और पृथ्वी पर उनके टुकड़े अलग-अलग स्थानों पर जा गिरे |

पृथ्वी पर जहाँ पर भी माता सती का अंग गिरा वहां पर शक्तिपीठ का निर्माण हुआ, इस तरह माता सती के कुल 51 शक्तिपीठ हैं और उनमें से एक नैनीताल में नैना देवी मंदिर के नाम से स्थित है | इस शक्तिपीठ में माता सती का एक नेत्र (आँख) गिरा था और यहाँ पर उनके नेत्रों की पूजा की जाती है |

Naina Devi Temple (नैना देवी मंदिर, नैनीताल)

उपरोक्त आर्टिकल में आपने जाना कि कैसे नैनीताल में एक शक्तिपीठ की स्थापना हुई ? Naina Devi Temple वही शक्तिपीठ है जिसकी चर्चा ऊपर की गयी है | यह रमणीय मंदिर झील के किनारे स्थित है और यहाँ से झील का मनोरम दृश्य प्रतीत होता है |

प्राचीन नैना देवी मंदिर का निर्माण श्री मोतीराम शाह जी द्वारा करवाया गया था किन्तु 1880 में धरती ऐसी उथल-पुथल हुई कि मंदिर नष्ट हो गया था | 1882 में पुनः दबी हुई मूर्ती को निकाला गया और एक भव्य मंदिर का निर्माण कर मूर्ति को स्थापित किया गया |

Naina Devi Temple

प्रत्येक वर्ष नैना देवी मंदिर में बड़ी धूमधाम से उत्सव मनाया जाता है और एक बड़े मेले (नंदा देवी मेला) का आयोजन भी होता है जिसमें उपस्थित होने और मंदिर में माता सती के दर्शन के लिए लाखों की मात्रा में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है |

Snow View Point

स्नो व्यू पॉइंट नैनीताल का बहुत ही सुन्दर tourist destination है और यहाँ आकर आप पूरे नैनीताल का सुन्दर नजारा देख सकते हैं | यदि Snow View Point के एक छोर से देखा जाए तो हिमालय की वर्फ से ढकी चोटियाँ आप देख सकते हैं और वहीँ दूसरे छोर से देखें तो नैनीताल शहर और शहर के बीचों बीच एक सुन्दर झील आंखों को ठंडक  प्रदान करती है |

स्नो व्यू पॉइंट से हिमालय पर्वत, नंदा देवी पर्वत, त्रिशूल पर्वत और नंदाकोट की चोटियों का मनोरम दृश्य दिखाई देता है  और यह स्थान स्वमं शेर का डांडा नामक चोटी के शीर्ष पर स्थित है |

पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करने वाला यह स्थान समुद्रतल से लगभग 2270 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है | यदि बात की जाए इसकी दूरी की तो यह नैनीझील से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जहाँ पर आप पैदल घूमते हुए और प्रकृति का आनंद लेते हुए जा सकते हैं | यदि आप पैदल जाने में असमर्थ हैं या आपका मन पैदल चलने का नहीं है तो आप यहाँ रोपवे के माध्यम से भी पहुँच सकते हैं |

Nainital Zoo (नैनीताल चिड़ियाघर)

जैसा कि उत्तराखंड राज्य अपनी प्राकृतिक सौन्दर्यता के लिए विश्वविख्यात है और इस राज्य के अधिकांश भाग में घना जंगल पाया जाता है और जहाँ जंगल होगा वहां जंगली जानवरों का होना तो निश्चित है | जंगली जानवर दिखने में जितने खूबसूरत होते हैं उतने ही खतरनाक भी तो जंगल में जंगली जानवरों को देखने की इच्छा ना रखें |

यदि आप जंगली जानवरों को देखना चाहते हैं तो आप नैनीताल चिड़ियाघर में जाकर तरह-तरह के जंगली जानवरों को देख सकते हैं | यह चिड़ियाघर समुद्र तल से लगभग 2100 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और यहाँ पहुंचकर आप नैनीताल के सुहावने मौसम को महसूस कर सकते हैं |

इस चिड़ियाघर को गोविन्द बल्लभ पन्त उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान के नाम से जाना जाता है और इतनी ज्यादा ऊँचाई पर स्थित यह चिड़ियाघर हिमालयन काला भालू, रॉयल बंगाल टाइगर, रेड पांडा, साइबेरियन बाघ, सिल्वर तीतर, पहाड़ी लोमड़ी और भौंकने वाले हिरणों के लिए प्रसिद्ध है | 4693 हैक्टेयर में फैले इस चिड़ियाघर की स्थापना 1984 में हुई थी लेकिन पर्यटकों के लिए इसे 1 जून 1995 को खोला गया था |

Hanuman Garhi Temple

समुद्रतल से 1951 मीटर की ऊँचाई पर स्थित हनुमान गढ़ी मंदिर नैनीताल के निचले हिस्से तल्लीताल से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है | इस मंदिर की स्थापना 1950 में हनुमान जी के अवतार कहे जाने वाले नीम करोली बाबा जी के द्वारा हुई थी और वर्तमान में यहाँ पर हनुमान जी को समर्पित हनुमान गढ़ी मंदिर का भव्य परिसर है |

स्थानीय लोग बताते हैं कि पहले यहाँ पर घना जंगल हुआ करता था और इस जंगल पर मिट्टी का एक टीला था जिसके समीप बैठकर नीम करोली बाबा ने एक वर्ष तक राम नाम जपा था | कहा जाता है कि नीम करोली बाबा की लगन और निष्ठां को देखकर वहां के पेंड पौधे भी राम नाम जपने लगे थे |

नीम करोली बाबा ने स्वमं इस चमत्कार को देखा और वहां दिव्य शक्तियों का अनुभव किया और भजन कीर्तन कराने का निर्णय लिया | भजन समाप्ति के बाद भंडारे का आयोजन किया गया था जिसमें प्रसाद का वितरण होना था | प्रसाद बनाते-बनाते नीम करोली बाबा को घी की कमी महसूस हुई और वे सोचने लगे कि अब क्या करा जाये | घी की कमी को देखते हुए उन्होंने प्रसाद बनाने के लिए घी के स्थान पर पानी दाल दिया और चमत्कार तो तब दिखा जब प्रसाद बनाने के लिए डाला गया पानी स्वमं घी में परिवर्तित हो गया |

Camel’s Back

यदि नैनीताल आने वाले पर्यटक ट्रेकिंग का शौक रखते हैं तो यह स्थान उनके लिए बहुत ख़ास होने वाला है क्योंकि यह स्थान समुद्रतल से 2422 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और यहाँ पहुँचने के लिए पर्यटक को 8 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है | पैदल यात्रा के दौरान आपको घने जंगल में से गुजरना होता है जहाँ आप प्रकृति की सुन्दरता को देख पायेंगे और यहाँ पहुँचने के बाद नैनीताल का मनोरम दृश्य आपके मन को मोह लेगा |

nainital tourism

यदि आप यह सोच रहे हैं कि इस स्थान को Camel’s Back क्यों कहा जाता है तो आपको बता दें कि नीचे से देखने पर इस पूरे पहाड़ का आकार ऊंट की पीठ के जैसा दिखाई देता है | यदि आप इस पहाड़ पर चढ़ रहे हैं तो नीचे से ही खाने के लिए कुछ खाना और पीने का पानी ले जाना ना भूलें क्योंकि रास्ते पर आपको किसी भी प्रकार की कोई दुकान देखने को नहीं मिलेगी |

Pangot (पंगोट)

Nainital Hill Station में एक छोटा सा गाँव है जो कि बहुत खूबसूरत है और पर्यटक यहाँ पर मन की शांति के लिए आते हैं | इस छोटे से गाँव को पंगोट के नाम से जाना जाता है और यह गाँव नैनीताल शहर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर समुद्रतल से लगभग 6300 फीट की ऊँचाई पर स्थित है |

यदि आप पक्षी प्रेमी हैं और आप खुद को किस्मत के धनी समझते हैं तो यह स्थान आपके लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं होगा | यहाँ पर पक्षियों की 150 भिन्न-भिन्न प्रजातियाँ पायी जाती हैं लेकिन इन्हें देखना इतना भी आसान नहीं है | आमतौर पर यहाँ ग्रिफौन,रयुफस, बैली वुड पैकर (कठफोड़वा), फोकटेल तथा तीतर इत्यादि पक्षी देखे जाते हैं |

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Best Time to Visit Nainital, Uttarakhand, India ?

वैसे तो नैनीताल का मौसम (Nainital Weather) 12 माह सुहावना रहता है और आप किसी भी समय यहाँ घूमने के लिए आ सकते हैं | यदि आप ग्रीष्म ऋतु में भी यहाँ भ्रमण के लिए आते हैं तो आप यहाँ का मौसम अति सुहावना पायेंगे और उसके एहसास से आपका मन प्रफुल्लित हो उठेगा | किन्तु यदि आप चाहते हैं कि आप नैनीताल को वर्फ की सफ़ेद चादर से ढाका देखें तो आपको नवम्बर से लेकर फरबरी के बीच का प्लान बनाना होगा |

Best Time to Visit Nainital

यूं तो वर्फ का गिरना और ना गिरना प्रकृति का खेल है किन्तु अंदाजन यह कहा जा सकता है कि नवम्बर- दिसंबर के महीने में आप वर्फ की चादर से ढके नैनीताल (Nainital Snowfall) को देख सकते हैं |

How to Reach Nainital (नैनीताल कैसे पहुंचें) ?

आप भारत के किसी भी छोर पर हैं और आप भ्रमण के लिए नैनीताल आना चाहते हैं तो उसके लिए आपको काठगोदाम पहुंचना होगा इसके बाद ही नैनीताल का पर्वतीय रास्ता आरम्भ होता है | काठगोदाम पहुँचने के बाद आप स्थानीय बसों, टैक्सी एवं स्वमं के साधनों द्वारा आसानी से नैनीताल पहुँच सकते हैं, काठगोदाम से नैनीताल (Kathgodam to Nainital) के बीच की दूरी लगभग 35 किलोमीटर (पर्वतीय मार्ग) है |

  1. Nearest Airport to Nainital
  2. Nearest Railway Station to Nainital

Nearest Airport to Nainital

उत्तराखंड का पंतनगर हवाई अड्डा (Pant Nagar Airport) नैनीताल से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है जहाँ पर आने के लिए आपको देश की राजधानी दिल्ली और उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से आपको flight लेनी होती है | पंतनगर हवाई अड्डे से काठगोदाम के बीच की दूरी लगभग 35 किलोमीटर है और टैक्सी से यह दूरी तह करने में लगभग 1 घंटे का समय लगता है |

Nearest Railway Station to Nainital

यदि आप ट्रेन द्वारा सफ़र करना पसंद करते हैं तो नैनीताल का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम में ही स्थित है और यहाँ से नैनीताल जाने के लिए आपको आसानी से टैक्सी मिल जाती हैं या फिर आप स्थानीय बसों का प्रयोग भी कर सकते हैं | काठगोदाम रेलवे स्टेशन पहुँचने के बाद आगे का नैनीताल तक का पर्वतीय सफ़र करने के लिए यदि आप टैक्सी लेना चाहते हैं तो आपको टैक्सी स्टैंड जाना होता है और यदि बस द्वारा आप नैनीताल जाना चाहते हैं तो आप रोडवेज जाकर वहां से बसें ले सकते हैं |

देश के मुख्य शहरों से नैनीताल की दूरी

  • दिल्ली से नैनीताल के बीच की दूरी (Delhi to Nainital Distance) – लगभग 324 किलोमीटर (via NH-9) / लगभग 421 किलोमीटर (via Nainital Rd)
  • देहरादून से नैनीताल के बीच की दूरी (Dehradun to Nainital Distance) – लगभग 286 किलोमीटर (via NH734) / 341 किलोमीटर (via Nainital Rd)
  • हरिद्वार से नैनीताल के बीच की दूरी (Haridwar to Nainital Distance) – लगभग 236 किलोमीटर (via NH734)
  • लखनऊ से नैनीताल के बीच की दूरी (Lucknow to Nainital Distance) – लगभग 382 किलोमीटर (via NH 30) / 385 किलोमीटर (via NH 730) / 390 किलोमीटर (via NH 730 A)
  • बरेली से नैनीताल के बीच की दूरी (Bareilly to Nainital Distance) –  लगभग 133 किलोमीटर (via Bareilly – Nainital Rd/Nainital Road)

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आशा करते हैं कि उपरोक्त आर्टिकल आपको पसंद आया होगा क्योंकि इस आर्टिकल के माध्यम से हमने उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों की यात्रा को सरल एवं सुखद बनाने के लिए जो भी सलाह हो सकती थी वह देने का प्रयास किया है | यदि आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो और उपयोगी आगा हो तो इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि अन्य पर्यटक भी इसका फायेदा ले सकें | आर्टिकल शेयर करने के इए आप किसी भी social media platform का प्रयोग कर सकते हैं |

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